Vrindavan Dham
वृन्दावन धाम: जानिए वृन्दावन से जुड़ी अनोखी बाते
वृन्दावन धाम: वृन्दावन,भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक व ऐतिहासिक नगर है। वृन्दावन भगवान श्री कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण की कुछ अलौकिक बाल लीलाओं का केन्द्र माना जाता है। यहाँ विशाल संख्या में श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिर हैं । बांके विहारी जी का मंदिर, श्री गरुड़ गोविंद जी का मंदिर व राधावल्लभ लाल जी का, ठा.श्री पर्यावरण बिहारी जी का मंदिर बड़े प्राचीन हैं । इसके अतिरिक्त यहाँ श्री राधारमण, श्री राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, श्री कृष्ण बलराम मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, वैष्णो देवी मंदिर। निधि वन ,श्री रामबाग मन्दिर आदि भी दर्शनीय स्थान है।
यह कृष्ण की लीलास्थली है।हरिवंश्पुरण, विष्णु पुराण व श्रीमाद्भाग्वद आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों के अस्तित्व का भान होता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार गोकुल से कंस के अत्याचार से बचने के लिए नंदजी कुटुंबियों और सजातीयों के साथ वृन्दावन में निवास के लिए आये थे। विष्णु पुराण में इसी प्रसंग का उल्लेख है। विष्णुपुराण में भी वृन्दावन में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है।
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वृन्दावन के प्रमुख मंदिर :
प्रेम मंदिर
भव्यता से परिपूर्ण, प्रेम मंदिर एक विशाल मंदिर है, जिसे वर्ष 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा बनवाया गया था। ये मंदिर “भगवान के प्रेम का मंदिर” के रूप में जाना जाता है। यह भव्य धार्मिक स्थान राधा कृष्ण के साथ-साथ सीता राम को भी समर्पित है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पवित्र शहर वृंदावन में स्थित यह मंदिर पवित्रता और शांति से भरपूर है। इस मंदिर में आप रोजाना सुबह 8:30 से दोपहर के 12 बजे के बीच जा सकते हैं या फिर शाम के 4:30 बजे से रात के 8:30 बजे के बीच भी जा सकते हैं।
इस्कोन टेम्पल
इस्कॉन वृंदावन मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस्कॉन वृंदावन स्वामी प्रभुपाद (इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य) का एक सपना था कि कृष्ण और बलराम दो भाइयों के लिए भी एक मंदिर बनवाना चाहिए और वो भी उसी पवित्र शहर में जहां वे एक साथ कई सदियों पहले खेला करते थे। यहां प्रतिदिन होने वाली आरती और भगवद गीता की कक्षाओं से दिव्य मंदिर में आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। ये मंदिर रोजाना सुबह 4:30 बजे से दोपहर के 1 बजे तक खुलता है, वही शाम 4:30 बजे से रात के 8:30 बजे तक खुलता है।
राधा-रमण मंदिर
वृंदावन रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राधा रमन मंदिर वृंदावन में सबसे आधुनिक हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिन्हें राधा रमन माना जाता है, जिसका अर्थ है राधा को प्रसन्न करने वाला। राधा रमन मंदिर परिसर में गोपाल भट्ट की समाधि भी है, जो राधा रमन की मूर्ति के ठीक बगल में स्थित है। ये मंदिर रोजाना सुबह 8:00 बजे से दोपहर के 12:30 बजे तक खुलता है, वही शाम 6:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक खुलता है।
रंगनाथ मंदिर
वृंदावन लोकप्रिय रूप से “मंदिरों के शहर” और “भगवान की भूमि” के रूप में जाना जाता है। श्री रंगनाथ मंदिर इस खूबसूरत शहर में स्थित एक प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिर है। यह आसपास का सबसे बड़ा मंदिर भी है। यह भगवान विष्णु और उनकी पत्नी, लक्ष्मी को समर्पित है। श्री रंगनाथ मंदिर में भगवान नरसिंह, वेणुगोपाल और रामानुजाचार्य के साथ राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों को भी प्रदर्शित किया गया है। ये मंदिर रोजाना सुबह 7:00 बजे से दोपहर के 11:00 बजे तक खुलता है, वही शाम 5:30 बजे से रात के 8:00 बजे तक खुलता है।
गोविन्द देव जी मंदिर
माना जाता है कि जिस शहर में हिंदू भगवान, भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था, उसी शहर की गोद में बैठा गोविंद देवजी मंदिर पिछली पांच शताब्दियों से एक वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में खड़ा है। लाल बलुआ पत्थर से बने इस मंदिर में भगवान कृष्ण को उनके बचपन के घर में दिखाया गया है। वृंदावन मथुरा का एक जुड़वां शहर है, जहां श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और ये गोकुल से सटा हुआ है, जहां माना जाता है कि उन्होंने अपने बचपन के शुरुआती साल यही बिताए थे। ये मंदिर रोजाना सुबह 4:30 बजे से दोपहर के 12:30 बजे तक खुलता है, वही शाम 5:30 बजे से रात के 9:00 बजे तक खुलता है।
प्रियकांत जू मंदिर
प्रियकांत जू को वृंदावन के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक माना जाता है। भवन को एक विशाल कमल के आकार में बनाया गया है, जिसके आसपास छोटा सा पानी का तालाब भी मौजूद है। शहर के अधिकांश अन्य मंदिरों की तरह, इसमें भी राधा और कृष्ण जी की मूर्तियां विराजमान हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से प्रियकांत जू कहा जाता है। इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा अच्छा शाम का वक्त है, क्योंकि पूरा परिसर सुंदर रोशनी से जगमगा रहा होता है। ये मंदिर रोजाना सुबह 6:00 बजे से दोपहर के 12:30 बजे तक खुलता है, वही शाम 4:30 बजे से रात के 8:30 बजे तक खुलता है।
निधिवन
भगवान श्री कृष्ण रात्रि के समय आकर महारास करते है। यहां भक्तों द्वारा इस वन में स्वयं साफ-सफाई करते हैं। झाडू लगाते हैं। भक्तों का मानना है कि जब रात्रि में भगवान यहां आकर महारास करें तो उनके पैरों में कहीं कांटे या कंकड़ न लग जाएं, इसलिए इस वन की सफाई करते हैं। इस महारास को अभी तक किसी ने नहीं देखा है और यदि किसी ने देखने की कोशिश की तो वह इस काबिल नहीं रहा कि वह किसी को इसके बारे में बता सके। इस महारास को देखने वाला पागल हो जाता है या फिर इस महारास को देखने के बाद मर जाता है। यही कारण है कि इस वन के आसपास बने मकानों के खिड़की महारास देखने के लिए बनाई गई थीं, लेकिन इसके परिणाम भयानक होने के कारण उन खिड़कियों को बंद करा दिया। इस महारास को देखने की हिम्मत इनसान तो दूर वरन यहां रहने वाले पशु-पक्षी भी नहीं करते हैं। यहां रहने वाले बंदर भी रात्रि में निकल जाते हैं, यदि गलती से भी कोई यहां रात्रि में रह जाता है तो उसे इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है|
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